Class 12th Political Science Ncert Solutions in Hindi Chapter 3 | समकालीन विश्व में अमेरिकी वर्चस्व

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Class 12th Political Science Ncert Solutions in Hindi Chapter 3 | समकालीन विश्व में अमेरिकी वर्चस्व

हमारे www.ncertskill.com  के इस पोस्ट में आपका स्वागत है, इस पोस्ट में आप कक्षा 12 के राजनीति शास्त्र [ खण्ड ‘अ’ समकालीन विश्व राजनीति ] पाठ्यपुस्तक पहला अध्याय-3 समकालीन विश्व में अमेरिकी वर्चस्व  [American Hegemony in Contem-porary World]  का पूरा समाधान देखेंगे | कक्षा 12 की पाठ्यपुस्तक राजनीति शास्त्र का पूरा समाधान हिंदी में. इस पोस्ट में आप Class 12th Political Science Book Solutions for Mp Board देख सकते है. यह सभी स्टूडेंट्स के लिए फ्री है. आप इस पेज पर 12 political science solutions in Hindi textbook बिलकुल ही फ्री में पढ़ सकते है. यह समाधान कक्षा 12 के राजनीति शास्त्र के नवीनतम पाठ्यक्रम  पर आधारित है. इसमें कक्षा 12 के राजनीति शास्त्र के हर चैप्टर के समाधानं नवीनतम पाठ्यक्रम पर आधारित है.

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Ncert Solutions For Class 12th Political Science in Hindi | Chapter – 3   समकालीन विश्व में अमेरिकी वर्चस्व 

अध्याय 3

 समकालीन विश्व में अमेरिकी वर्चस्व  [American Hegemony in Contem-porary World]

महत्वपूर्ण बिन्दु

  • शीत युद्ध के अन्त के साथ ही विश्व की एकमात्र शक्ति के रूप में अमेरिका का उदय हुआ।
  • अन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था में वर्चस्व वह स्थिति है जिसमें सैनिक, आर्थिक तथा वैचारिक शक्ति एक ही केन्द्र में प्रभावशाली रूप में स्थित हो।
  • सोवियत संघ के बिखराव के पश्चात् 1991 से अमेरिका ने एक वर्चस्वकारी शक्ति के रूप में व्यवहार करना शुरू किया।
  • 1990 में इराक ने कुवैत पर हमला करके अपना अधिकार स्थापित किया।
  • कुवैत को मुक्त कराने हेतु संयुक्त राष्ट्र संघ ने बल प्रयोग की अनुमति प्रदान की।
  • इराकी कब्जे से कुवैत को आजाद कराने हेतु संयुक्त राष्ट्र संघ ने ‘ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म’ सैन्य अभियान चलाया जो एक तरह से अमेरिकी सैन्य अभियान ही था, जिसे प्रथम खाड़ी युद्ध की उपमा दी जाती है।
  • प्रथम खाड़ी युद्ध से स्पष्ट हो गया कि विश्व के अन्य देश सैन्य क्षमता में अमेरिका से पीछे हैं।
  • पहला खाड़ी युद्ध जीतने के बाद भी 1992 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में जॉर्ज बुश को हार (पराजय का सामना करना पड़ा।
  • 1998 में अमेरिका ने आतंकी संगठन ‘अलकायदा’ के सूडान एवं अफगानिस्तान स्थित अड्डों पर बम वर्षा की थी।
  • 11 सितम्बर, 2001 को अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित ‘वर्ल्ड ट्रेड सेप्टर’ पर आतंकी हमला हुआ|
  • 19 मार्च, 2003 को अमेरिका ने ऑपरेशन इराकी फ्रीडम’ किया जिसका मूल उद्देश्य इराक के तेल भण्डार पर नियन्त्रण करना तथा वहाँ अपनी पसन्द की सरकार बनवाना था।
  • अमेरिकी शक्ति की रीढ़ की हड्डी उसकी मजबूत विशाल सैन्य क्षमता है।
  • सम्पूर्ण विश्व अर्थव्यवस्था में अमेरिका की 28 प्रतिशत सहभागिता है जो कि संसार मैं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
  • विश्व बैंक, अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा विश्व व्यापार संगठन अमेरिकी वर्चस्व के ही परिणाम हैं।
  • भारत, चीन तथा रूस भविष्य में अमेरिकी वर्चस्व को चुनौती देने वाले देश हो सकते हैं।

           

पाठान्त प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. वर्चस्व के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन गलत है?

(क) इसका अर्थ किसी एक देश की अगुआई या प्राबल्य है।

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(ख) इस शब्द का इस्तेमाल प्राचीन यूनान में एथेंस की प्रधानता को चिह्नित करने के लिए किया जाता था।

(ग) वर्चस्वशील देश की सैन्यशक्ति अजेय होती है।

(घ) वर्चस्व की स्थिति नियत होती है जिसने एक बार वर्चस्व कायम कर लिया उसने हमेशा के लिए वर्चस्व कायम कर लिया।

उत्तर- (घ) वर्चस्व की स्थिति नियत होती है जिसने एक बार वर्चस्व कायम कर लियाउसने हमेशा के लिए वर्चस्व कायम कर लिया।

 प्रश्न 2. समकालीन विश्व व्यवस्था के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन गलत है?

(क) ऐसी कोई विश्व सरकार मौजूद नहीं जो देशों में व्यवहार पर अंकुश रख सके

(ख) अन्तर्राष्ट्रीय मामलों में अमरीका की चलती है।

(ग) विभिन्न देश एक-दूसरे पर बल-प्रयोग कर रहे हैं।

(घ) जो देश अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करते हैं उन्हें संयुक्त राष्ट्रसंघ कठोर दंड देता है।

उत्तर- (क) ऐसी कोई विश्व सरकार मौजूद नहीं जो देशों में व्यवहार पर अंकुश रख सके।

 प्रश्न 3. ऑपरेशन इराकी फ्रीडम’ (इराकी मुक्ति अभियान) के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन गलत है ?

(क) इराक पर हमला करने के इच्छुक अमरीकी अगुआई वाले गठबन्धन में 40 से ज्यादा देश शामिल हुए।

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(ख) इराक पर हमले का कारण बताते हुए कहा गया कि यह हमला इराक को सामूहिक संहार के हथियार बनाने से रोकने के लिए किया जा रहा है।

(ग) इस कार्रवाई से पहले संयुक्त राष्ट्र संघ की अनुमति ले ली गई थी।

(घ) अमरीकी नेतृत्व वाले गठबन्धन को इराकी सेना से तगड़ी चुनौती नहीं मिली।

 उत्तर- (ग) इस कार्रवाई से पहले संयुक्त राष्ट्र संघ की अनुमति ले ली गई थी।

प्रश्न 4. इस अध्याय में वर्चस्व के तीन अर्थ बताए गए हैं। प्रत्येक का एक-एक उदाहरण बताएँ। ये उदाहरण इस अध्याय में बताए गए उदाहरणों से अलग होने चाहिए।

 उत्तर- अध्याय में वर्चस्व के तीन अर्थ उदाहरण सहित निम्न प्रकार हैं-

(1) सैन्य शक्ति के अर्थ में– अमेरिका की पाकिस्तान नीति अत्यधिक सौहार्द्रपूर्ण रही है। अमेरिका ने पाकिस्तान की सैनिक सहायता करके दक्षिण एशिया में अपने प्रभाव को बढ़ाया। इसके अलावा अपने वर्चस्व को ही स्थापित करने हेतु ही अमेरिका ने क्यूबा मिसाइल संकट के दौरान तत्कालीन सोवियत संघ को धमकाया था।

(2) ढाँचागत शक्ति के अर्थ में -वर्चस्व वाला देश ही अपनी नौसैनिक शक्ति के बलबूते समुद्री व्यापार मार्ग पर आवागमन के नियम निर्धारित करता है। द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् ब्रिटिश नौसेना की शक्ति कमजोर हुई तथा अमेरिका की इस क्षेत्र में शक्ति में अभिवृद्धि हुई। विभिन्न देशों से अमेरिका ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वे विश्व के समस्त समुद्री मार्गों को विश्व व्यापार हेतु खुला रखें क्योंकि मुक्त व्यापार समुद्री व्यापारिक रास्तों के खुले बिना असम्भव है।

(3) सांस्कृतिक अर्थ में -हम टेलीविजन, इण्टरनेट तथा सिनेमाघरों में विभिन्न कार्यक्रम एवं फिल्में देखते हैं जिन्हें अमेरिका अथवा उनके लोगों द्वारा ही तैयार किया गया होता है।

प्रश्न 5. उन तीन बातों का जिक्र करें जिनसे साबित होता है कि शीत युद्ध की समाप्ति के बाद अमरीकी प्रभुत्व का स्वभाव बदला है और शीतयुद्ध के वर्षों के अमरीकी प्रभुत्व की तुलना में यह अलग है।

उत्तर- निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है कि शीत युद्ध के अन्त के बाद अमेरिकी प्रभुत्व का स्वरूप बदला है जो कि शीत युद्ध के वर्षों में अमेरिकी प्रभुत्व की अपेक्षा अलग है-

(1) संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा अपनी इच्छानुसार फैसले करवाना-समय- समय पर अमेरिका संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा अपनी इच्छानुसार फैसले करवाने में सफल रहा है। अगस्त 1990 में इराक द्वारा कुवैत पर आक्रमण कर उस पर अपना नियन्त्रण स्थापित कर लिए जाने पर अमेरिका ने इराक को संयुक्त राष्ट्र संघ के माध्यम से समझाने का प्रयास किया। समस्त प्रयासों के विफल हो जाने पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने कुवैत को मुक्त कराने हेतु अमेरिकी नेतृत्व में 34 देशों की छः लाख साठ हजार सैनिकों की संयुक्त सेना को बल प्रयोग की अनुमति देना अमेरिकी प्रभुत्व के बदलते स्वरूप को दर्शाता है।

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उल्लेखनीय है कि शीत युद्ध के दौरान अधिकांश मामलों में शान्त रहने वाले संयुक्त राष्ट्र संघ ने यह नाटकीय फैसला अमेरिकी इच्छा के अनुरूप ही लिया था। इस प्रथम खाड़ी युद्ध से यह बात सिद्ध हो गई कि विश्व के अन्य देश सैन्य क्षमता में अमेरिका से काफी पीछे हैं तथा प्रौद्योगिकी के मामले में संयुक्त राष्ट्र अमेरिका उनसे बहुत आगे है।

(2) अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों तथा संयुक्त राष्ट्र संघ की अनदेखी करना – 1998 में नैरोबी (केन्या) तथा दारे सलाम (तंजानिया) के अमेरिकी दूतावासों पर बम वर्षा के प्रति उत्तर में अमेरिकी सैन्य कार्यवाही उसके वर्चस्व के परिवर्तित स्वरूप को दर्शाती है। अमेरिका ने इसके जिम्मेदार आतंकी संगठन अलकायदा के सूडान एवं अफगानिस्तान स्थित अड्डों पर अनेक बार क्रूज मिसाइलें दागीं। इस कार्यवाही के लिए न तो अमेरिका ने अन्तर्राष्ट्रीय कानूनोंकी परवाह की और न ही संयुक्त राष्ट्र संघ से इसकी अनुमति हो ली थी। शीत बुद्ध के दौरान ऐसा कृत्य असम्भव था।

 

(3) महत्त्वपूर्ण अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों पर प्रभुत्व- शीत युद्ध के बाद अमेरिका ने विश्व के समस्त महत्त्वपूर्ण अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों पर अपना प्रभुत्व स्थापित किया है। सर्वविदित है कि विश्व बैंक, अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा विश्व व्यापार संगठन पर अमेरिकी दबदबा स्थापित है। शीत युद्ध के दौरान ऐसी परिस्थिति नहीं थी।

 

प्रश्न 6. निम्नलिखित में मेल बैठाएँ-

(1) ऑपरेशन इनफाइनाइट रीच                           (क) तालिबान और अल-कायदा के खिलाफ जंग

(2) ऑपरेशन इंड्यूरिंग फ्रीडम                             (ख) इराक पर हमले के इच्छुक देशों का गठबन्धन

(3) ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म                                   (ग) सूडान पर मिसाइल से हमला

(4) ऑपरेशन इराकी फ्रीडम                                (घ) प्रथम खाड़ी युद्ध

उत्तर-

(I) ऑपरेशन इनफाइनाइट रीच                              (ग) सूडानपर मिसाइल से हमला

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(2) ऑपरेशन इंड्यूरिंग फ्रीडम                              (क) तालिबान और अल-कायदा के खिलाफ जंग

(3) ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म                                   (घ) प्रथम खाड़ी युद्ध

(4) ऑपरेशन इराकी फ्रीडम                               (ख) इराक पर हमले के इच्छुक गठबन्धन

 

प्रश्न 7. अमरीकी वर्चस्व की राह में कौन-से व्यवधान हैं? क्या आप जानते हैं कि इनमें से कौन-सा व्यवधान आगामी दिनों में सबसे महत्त्वपूर्ण साबित होगा ?

उत्तर- हालांकि विश्व पटल पर अमेरिकी वर्चस्व कायम है तथापि उसके वर्चस्व के मार्ग में कुछ व्यवधान भी हैं जिन्हें संक्षेप में निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-

(1) संस्थागत संरचना – संयुक्त राज्य अमेरिका की शासन व्यवस्था शक्ति पृथक्करण सिद्धान्त पर आधारित है और वहाँ कार्यपालिका, व्यवस्थापिका तथा न्यायपालिका के मध्य शक्तियों का स्पष्ट विभाजन किया गया है। इसके साथ ही वहाँ शासन के तीनों अंगों के बीच अवरोध एवं सन्तुलन के सिद्धान्त को भी अपनाया गया है, जिसके प्रावधानों के अनुसार शासन का एक अंग, दूसरे अंग पर नियन्त्रण भी लगाता है। अमेरिकी शासन की यह संस्थागत संरचना कार्यपालिका द्वारा सैन्य बल के बेलगाम प्रयोग पर प्रभावी अंकुश लगाने का कार्य करती है।

(2) समाज की उन्मुक्त प्रकृति — अमेरिकी समाज अपनी प्रकृति से उन्मुक्त है जो उसके – वर्चस्व के समक्ष व्यवधान उत्पन्न करता है। समय-समय पर अमेरिकी जनसंचार साधन देश के जनमत को एक विशेष दिशा में मोड़ने की भले ही प्रयत्न करें लेकिन अमेरिकी राजनीतिक संस्कृति में शासन के उद्देश्य तथा विधियों (तरीकों) को लेकर भारी सन्देह हैं। अमेरिकी विदेशी सैन्य अभियानों पर अंकुश न रखने में यह बात अत्यधिक कारगर भूमिका का निर्वहन करती है।

(3) नाटो का अंकुश — अन्तर्राष्ट्रीय पटल पर नाटो ही एकमात्र ऐसा संगठन है – अमेरिकी शक्ति पर अंकुश लगाने में सक्षम है। अमेरिकी हित लोकतान्त्रिक देशों के इस को बनाए रखने से सम्बद्ध है क्योंकि इन देशों में बाजार मूलक अर्थव्यवस्था प्रचलन में है। आगामी आने वाले समय में ‘उत्तरी अटलांटिक सन्धि संगठन’ (नाटो) में सम्मिलित इसके मित्र देश अमेरिकी वर्चस्व पर अंकुश लगा सकते हैं।

 प्रश्न 8. भारत-अमरीका समझौते से सम्बन्धित बहस के तीन अंश इस अध्याय में दिए गए हैं। इन्हें पढ़ें और किसी एक अंश को आधार मानकर पूरा भाषण तैयार करें जिसमें भारत-अमरीकी सम्बन्ध के बारे में किसी एक रुख का समर्थन किया गया हो।

उत्तर— भारत-अमरीका के मध्य सम्पन्न परमाणु ऊर्जा समझौते पर भारतीय संसद के लोकसभा सदन में गर्मागर्म बहस हुई। तत्कालीन भारतीय प्रधानमन्त्री के विचारों से सहमत होकर हम दोनों देशों के सम्बन्धों के बारे में निम्न भाषण तैयार कर सकते हैं-

महोदय,

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सर्वविदित है कि शीत युद्ध अन्त के बाद विश्व पटल पर महत्वपूर्ण बदलाव देखे गए हैं। 1991 में सोवियत संघ से अलग हुए गणराज्यों को स्वतन्त्र राष्ट्र का दर्जा हासिल हो चुका है तथा रूस को विघटित सोवियत संघ का राजनीतिक उत्तराधिकारी स्वीकार कर लिया गया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में सोवियत संघ का स्थान रूस को मिल गया है। परन्तु इसके बावजूद भी रूस अमेरिका के समकक्ष नहीं हो पाया है। रूस इतना शक्ति सम्पन्न नहीं है जितना कि पूर्व सोवियत संघ था। वर्तमान विश्व दो ध्रुवीय की जगह एक ध्रुवीय हो गया है। सम्पूर्ण अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति अमेरिका के चारों तरफ ही धूम रही है।

वर्तमान विश्व में अमेरिकी वर्चस्व केवल सैन्य शक्ति एवं आर्थिक सुदृढ़ता के बलबूते ही नहीं अपितु संयुक्त राज्य अमेरिका की सांस्कृतिक विरासत की वजह से भी है। शीत युद्ध के दौरान भारत अमेरिकी खेमे के खिलाफ था तथा उस समय हमारा मित्र सोवियत संघ था। सोवियत संघ के विघटन के पश्चात् हम मित्रविहीन हो गए। इसी दौरान हमारे देश भारत ने अर्थव्यवस्था का उदारीकरण कर उसे वैश्विक अर्थव्यवस्था से सम्बद्ध किया। इस नीति से हम अमेरिका सहित विभिन्न देशों के लिए आर्थिक सहयोगी बने। हाल के वर्षों में भारत ने अमेरिका के साथ अनेक समझौते करके सम्बन्धों को नई दिशा दी है।

दोनों देशों के बीच परमाणु ऊर्जा समझौते से भारत-अमेरिका और अधिक निकट आए हैं। हम यह भली-भाँति जानते हैं कि अमेरिकी नीति सदैव अपना वर्चस्व स्थापित करने की रही है अत: हमें इस बात से सदैव सावधान होकर रहना होगा। मेरा स्पष्ट अभिमत है कि भारत-अमेरिका परमाणु ऊर्जा समझौते में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे हमें भारतीय सुरक्षा के साथ कोई समझौता करना पड़े। अतः उक्त समझौता भारतीय हितों के अनुरूप है।

 

प्रश्न 9. ” यदि बड़े और संसाधन सम्पन्न देश अमरीकी वर्चस्व का प्रतिकार नहीं कर सकते तो यह मानना अव्यावहारिक है कि अपेक्षाकृत छोटी और कमजोर राज्येतर संस्थाएँ अमरीकी वर्चस्व का कोई प्रतिरोध कर पाएँगी।” इस कथन की जाँच करें और अपनी राय बताएँ ।

उत्तर-  हमारा मानना है कि उक्त कथन पूर्णरूपेण सत्य है। हम अपनी इस राय को निम्न तर्कों द्वारा प्रमाणित कर सकते हैं-

(1) वर्तमान में अमेरिका विश्व का सर्वाधिक धनवान एवं सैन्य दृष्टिकोण से अत्यधिक शक्तिशाली देश है।

(2) प्रथम खाड़ी युद्ध से प्रमाणित हो चुका है कि विश्व के शेष देश सैन्य क्षमता में अमेरिका से काफी पीछे हैं तथा प्रौद्योगिकी में संयुक्त राज्य अमेरिका अन्यों से काफी आगे निकल चुका है।

(3) वर्तमान विश्व पटल पर सबसे बड़ा साम्यवादी देश चीन है जहाँ विविध क्षेत्रों में अलगाववाद, उदारीकरण तथा वैश्वीकरण के पक्ष में आवाजें उठती हैं तथा वातावरण बनता रहता है।

(4) जब ब्रिटेन, भारत, रूस, फ्रांस तथा चीन इत्यादि देश अमेरिका को प्रत्यक्ष रूप से सुनौती नहीं दे सकते हैं तो छोटे-छोटे देशों की हिम्मत ही क्या है कि वे अमेरिकी वर्चस्व का कोई विरोध करें। असल में विकास की दर में पाश्चात्य देशों की अपेक्षाकृत न केवल रूस बल्कि अधिकांश पूर्वी देश भी काफी पिछड़ चुके हैं।

 

परीक्षोपयोगी अन्य प्रश्नोत्तर

 

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

  • बहु-विकल्पीय
  1. प्रथम खाड़ी युद्ध को किस सैन्य अभियान के नाम से जाना जाता है?

(क) ऑपरेशन ब्लू स्टार

(ख) ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म

(ग) ऑपरेशन एण्ड्यूरिंग फ्रीडम

(घ) ऑपरेशन इराकी फ्रीडम

  1. निम्नांकित में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण उभरती प्रवृत्ति है-

(क) शीतयुद्ध में तीव्रता

(ख) सैनिक गठबन्धन

(ग) निःशस्त्रीकरण

(घ) एकल ध्रुवीय विश्व व्यवस्था ।

  1. निम्नांकित में कौन-सा देश अपने बजट का बड़ा भाग रक्षा अनुसंधान तथा विकास के मद में व्यय करता है?

(क) भारत

(ख) ब्रिटेन

(ग) अमेरिका

(घ) चीन।

  1. आतंकी संगठन अलकायदा ने नैरोबी स्थित अमेरिकी दूतावास पर किस वर्ष हमला किया था?

(क) 1998

(ख) 1999

(ग) 2001

(घ) 2003.

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका के विश्व व्यापार केन्द्र पर कब आक्रमण हुआ?

(क) 11 सितम्बर, 2001

(ख) 11 नवम्बर, 2001

(ग) 9 सितम्बर, 2001

(घ) 9 नवम्बर, 2001.

  1. निम्नांकित में कुवैत पर कब्जा करने वाला देश था-

(क) ईरान

(ख) इराक

(ग) अफगानिस्तान

(घ) पाकिस्तान।

  1. 2003 में संयुक्त राष्ट्र संघ की उपेक्षा करके इराक पर आक्रमण करने वाला देश था-

(क) रूस

(ख) ब्रिटेन

(ग) अमेरिका

(घ) चीन।

  1. 9/11 की घटना के लिए उत्तरदायी माना गया-

(क) अलकायदा तथा तालिबान को

(ख) रूस को

(ग) चीन को

(घ) पाकिस्तान को ।

उत्तर-    1. (ख) ऑपरेशन डेजर्ट स्टमिं, 2. (घ) एकल ध्रुवीय विश्व व्यवस्था, 3. (ग) अमेरिका, 4. (क) 1998, 5. (क) 11    सितम्बर, 2001, 6. (ख) इराक, 7. (ग) अमेरिका, 8. (क) अलकायदा तथा तालिबान को।

 

रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. विश्व को इण्टरनेट की सुविधा———- की देन है।
  2. एम.बी.ए. पाठ्यक्रम की शुरूआत—- ——- से हुई।
  3. अमेरिका ने खाड़ी युद्ध में————- बर्मो का प्रयोग किया था।
  4. हेगेमनी शब्द की जड़ें में————– हैं।
  5. प्रथम खाड़ी युद्ध को—————— ‘युद्ध के नाम से जाना जाता है।
  6. कुवैत तथा बसरा के बीच की सड़क को——–कहा गया है।
  7. अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय को ———- के नाम से जाना जाता है।
  8. अमेरिका की मौजूदा ताकत की रीढ़———– है।

उत्तर— 1. अमेरिका, 2. संयुक्त राज्य अमेरिका, 3. स्मार्ट, 4. प्राचीन यूनान 5. कम्प्यूटर, 6. हाइवे ऑफ डैथ, 7. पेंटागन 8. सैन्य शक्ति।

 

सत्य / असत्य

  1. सद्दाम हुसैन 13 सितम्बर, 2003 को पकड़ा गया।
  2. 9 नवम्बर, 2001 को आतंकवादियों ने अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेण्टर पर हम किया था।
  3. शीत युद्ध के अन्त के पश्चात् रूस एकमात्र महाशक्ति के रूप में उभरा है।
  4. अभी तक किसी भी देश ने किसी राज्य पर हमला करते समय संयुक्त राष्ट्र संघ उपेक्षा नहीं की है।
  5. अमेरिकी प्रभुत्व ने भारतीय स्वतन्त्र विदेश नीति का हनन किया है।

 उत्तर- 1. सत्य, 2. असत्य, 3. असत्य, 4. असत्य, 5. असत्य ।

 

जोड़ी मिलाइए

               ‘क’

  1. ऑपरेशन इराकी फ्रीडम                                 (i) याहटन स्कूल
  2. सद्दाम हुसैन को फाँसी                                     (ii) 19 मार्च, 2003
  3. विश्व का प्रथम बिजनेस स्कूल                            (iii) 28 प्रतिश
  4. सम्पूर्ण विश्व अर्थव्यवस्था में अमेरिकी भागीदारी (iv) पर्थ
  5. आन्देई                                                               (v) 30 दिसम्बर, 2006

उत्तर- 1. (ii), 2. (v), 3. (i), 4. (iii) 5. (iv).

 

एक शब्द / वाक्य में उत्तर

  1. किस अमेरिकी राष्ट्रपति के सैन्य शक्ति जैसी कठोर राजनीति की जगह नरम मुद्द पर ध्यान केन्द्रित किया ?
  2. बिल क्लिंटन ने किस नीति को चुनाव प्रचार का निशाना बनाया ?
  3. प्रथम खाड़ी युद्ध में किस देश को लाभ मिला ?
  4. ‘ऑपरेशन इनफाइनाइट रीच’ किस अमेरिकी राष्ट्रपति के आदेश से दिया गया था ?
  5. किस का अभिप्राय किसी एक राज्य का नेतृत्व अथवा प्रभुत्व है?
  6. 9/11 के हमले में कितने लोग मारे गए थे ?
  7. फरवरी 2020 में किस अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत यात्रा की थी ?
  8. फरवरी 2020 में भारत-अमेरिका के बीच कितने डॉलर का रक्षा समझौता हुआ ?

उत्तर-  1. बिल क्लिंटन, 2. घरेलू नीति, 3. संयुक्त राज्य अमेरिका, 4. विलियम जेफर्सन (बिल) क्लिंटन, 5. हेगेमनी, 6. लगभग तीन हजार, 7. डोनाल्ड ट्रम्प, 8. तीन अरब डॉलर ।

 

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. प्रभुत्व का क्या अभिप्राय है? अमेरिकी प्रभुत्व का युग कब प्रारम्भ हुआ?

उत्तर- अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में शक्ति का एक ही केन्द्र होना, प्रभुत्व कहलाता है। अमेरिकी प्रभुत्व शीत युद्ध के पश्चात् 1991 में शुरू हुआ।

प्रश्न 2. यूरोपीय अर्थव्यवस्था के पुनर्गठन के लिए अमेरिका ने किस योजना के अन्तर्गतआर्थिक सहायता पहुँचाई थी ?

उत्तर- ब्रेटनवुड प्रणाली।

प्रश्न 3. 2003 में इराक पर अमेरिकी आक्रमण सैनिक एवं राजनीतिक धरातल पर असफल क्यों माना जाता है?

उत्तर – चूँकि इस आक्रमण के दौरान अमेरिका के तीन हजार सैनिक तथा लगभग पचास हजार स्थानीय नागरिक मारे गए थे। अतः इस दृष्टिकोण से इराक पर अमेरिकी हमला सैन्य एवं राजनीतिक धरातल पर असफल माना जाता है।

प्रश्न 4. ‘बैण्डवैगन’ अथवा ‘जैसी बहे ब्यार पीठ तैसी कीजै’ रणनीति का क्या अर्थ है?

उत्तर- किसी देश को विश्व के सर्वाधिक शक्तिशाली देश के खिलाफ रणनीति बनाने के स्थान पर उसके वर्चस्य तन्त्र में रहते हुए अवसरों का लाभ उठाने की रणनीति को ही ‘बैण्डवैगन’ अथवा ‘जैसी बहे ब्यार पीठ तैसी कीजै’ की रणनीति कहा जाता है।

प्रश्न 5. ‘अपने को छुपा लें’ नीति का क्या अभिप्राय होता है?

उत्तर- इसका अभिप्राय दबदबे वाले देश से जहाँ तक हो सके दूर-दूर रहना है। चीन,

रूस तथा यूरोपीय संघ भिन्न-भिन्न प्रकार से स्वयं को अमेरिकी नजर में आने से बचते रहे हैं।

प्रश्न 6. साम्राज्यवादी शक्तियों ने सैन्य शक्ति किसके लिए प्रयुक्त की है?

उत्तर-साम्राज्यवादी शक्तियों ने सैन्य शक्ति का प्रयोग चार लक्ष्यों-जीतने, अपराध करने, दण्ड देने तथा कानून व्यवस्था को बहाल रखने हेतु किया है।

प्रश्न 7. भारत-अमेरिका सम्बन्धों को दर्शाने वाले दो तथ्य लिखिए।

उत्तर- (1) भारत-अमेरिका दोनों ही लोकतन्त्र के समर्थक हैं तथा

(2) भारत-अमेरिका असैनिक प्रयोजनों हेतु परमाणु शक्ति को बढ़ाने के पक्षधर हैं।

प्रश्न 8. ढाँचागत शक्ति के रूप में वर्चस्व का क्या अर्थ होता है?

उत्तर- वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी स्वयं की इच्छा चलाने वाला ऐसा देश जो अपने मतलब की चीजों को बनाए रखता है तथा उसके पास इस व्यवस्था को कायम रखने के लिए पर्याप्त क्षमता एवं इच्छा शक्ति होती है।

 

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. अमेरिकी वर्चस्व के किन्हीं चार रूपों को संक्षेप में लिखिए।

उत्तर- अमेरिकी वर्चस्व के चार रूपों को संक्षेप में निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-

(1) अमेरिकी वर्चस्व का आधार स्तम्भ उसकी सैन्य शक्ति है। वर्तमान अमेरिकी सैन्य शक्ति स्वयं में सम्पूर्ण तथा विश्व के समस्त देशों में बेजोड़ है।

(2) विश्व अर्थव्यवस्था में एकमात्र अपनी इच्छा चलाने वाला देश अमेरिका है जो इस व्यवस्था को लागू करने तथा उसे लगातार बनाए रखने की प्रचुर आर्थिक क्षमता रखता है। मुद्रा

(3) अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक संस्थाओं में अमेरिका का ही वर्चस्व है। विश्व बैंक, अन्तर्राष्ट्रीय कोष तथा विश्व व्यापार संगठन इत्यादि संस्थाओं में उसी के द्वारा ही बनाए गए नियम कानून लागू किए जाते हैं।

(4) अमेरिकन भाषा-शैली एवं साहित्य, विविध कलाओं, जीवन प्रणाली तथा फिल्मों इत्यादि को सर्वश्रेष्ठ मानते हुए संयुक्त राज्य अमेरिका उसे किसी-न-किसी रूप में प्रोत्साहन देता है। उसके पास अन्य देशों को इस तथ्य से सहमत करने की अपार शक्ति भी है। प्रश्न 2. अमेरिकी सैन्य शक्ति के वर्चस्व के कोई तीन बिन्दु संक्षेप में लिखिए।

उत्तर- अमेरिकी सैन्य शक्ति के वर्चस्व के बिन्दुओं को संक्षेप में निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-

(1) वर्तमान अमेरिका अपनी सैन्य क्षमता के आधार पर विश्व भर में कहीं भी निशाना साधने में पूर्णरूपेण सक्षम है। अमेरिका के पास सही समय पर अचूक एवं घातक प्रहार करने की क्षमता मौजूद है। उसके पास अमेरिकी सैन्य बलों को युद्ध क्षेत्र से अधिकतम दूरी पर सुरक्षित रखते हुए अपने दुश्मनों को उसी के भू-क्षेत्र में अपाहिज बना देने की शक्ति विद्यमान है।

(2) अमेरिका अपने देश के वार्षिक बजट में बड़ी धनराशि सैन्य बलों पर खर्च करने का प्रावधान करता है। अमेरिकी सैन्य बजट विश्व के एक दर्जन देश परस्पर एक साथ मिलकर भी खर्च नहीं कर सकते हैं।

(3) चूँकि पेंटागन अपने वार्षिक बजट का बड़ा हिस्सा रक्षा, अनुसन्धान एवं विकास अर्थात् प्रौद्योगिकी के उच्चीकरण पर खर्च करता है। अतः अमेरिकी सैन्य प्रौद्योगिकी विश्व के सभी देशों से अत्यधिक उत्कृष्ट एवं उन्नत है।

प्रश्न 3. किसी हमले अथवा आक्रमण में सैन्य बल किन चार कार्यों को पूर्ण करने हेतु किया जाता है?

उत्तर – किसी हमले अथवा आक्रमण में सैन्य बल निम्नांकित कार्यों को पूर्ण करने हेतु किया जाता है-

(1) उस देश अथवा क्षेत्र को जीतने अथवा विजय प्राप्त करने के लिए।

(2) अपराधी देश अथवा शत्रु पक्ष को उसके द्वारा किए गए अपराध करने के लिए।

(3) शत्रु देश को उसके कृत्यों का दण्ड देने के लिए।

(4) इच्छित देश अथवा क्षेत्र विशेष में कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए।

प्रश्न 4. अलकायदा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

उत्तर- इस्लामी राज समर्थक एवं पोषक अलकायदा पूर्णरूपेण धार्मिक एवं राजनीतिक आतंक की मदद से धार्मिक वर्चस्व स्थापित करने वाला संगठन है। अलकायदा की जड़ें अफगानिस्तान से जुड़ी हैं। संगठन के अनुयायी अनेक राजनीतिक संगठनों तथा उसको कर्मभूमि को समूल नष्ट किए जाने में आस्था रखते हैं। आधुनिक हथियारों से लैस संगठन के कार्यकर्ता किसी की हत्या करना तथा अपनी जान देना बड़ी सरलता से एक खेल की तरह से करने में दक्ष हैं। अलकायदा अतिवादी इस्लामी आतंकी संगठन है जिसके विरुद्ध विश्वव्यापी अभियान के अन्तर्गत अमेरिका ने ऑपरेशन एण्ड्यूरिंग फ्रीडम चलाया।

इस अभियान का प्रमुख लक्ष्य अलकायदा तथा अफगानिस्तान का तालिवान शासन था। अमेरिका ने तालिबान सर्वोच्च कमाण्डर ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तानी क्षेत्र में मौत के घाट उतार दिया लेकिन इसके बावजूद भी तालिवान तथा अलकायदा के अवशेष अभी भी सक्रिय हैं। विभिन्न पाश्चात्य देशों में इनकी तरफ से आतंकी हमले जारी हैं जिससे इनकी सक्रियता का आभास किया जा सकता है।

 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. वैश्विक घटनाचक्र की किन घटनाओं से अमेरिकी वर्चस्व का पता चलता

उत्तर- वैश्विक स्तर पर घटित निम्न घटनाओं से अमेरिकी वर्चस्व की जानकारी मिलती है-

(1) प्रथम खाड़ी युद्ध – अमेरिकी वर्चस्व के प्रथम उदाहरण के रूप में पहला खाड़ी बुद्ध विशेष रूप से उल्लेखनीय है जब अमेरिका ने अपने सैन्य बलों की शक्ति पर कुवैत को इराक से आजाद कराया है। इस हमले ने वैश्विक स्तर पर अमेरिकी सैन्य शक्ति को अत्यधिक बढ़ाया जिसके परिणामस्वरूप विश्व एक ध्रुवीय व्यवस्था की ओर तेजी से अग्रसर हुआ।

(2) सूडान एवं अफगानिस्तान पर हमला-  1998 में नैरोबी (केन्या) तथा द्वारे (तंजानिया) में स्थित अमेरिकी दूतावासों पर बम विस्फोट हुए जिसके लिए से प्रभावित आतंकी संगठन अलकायदा को उत्तरदायी माना गया। इस आतंकी हमले है फलस्वरूप तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने ‘ऑपरेशन इनफाइनाइट रीचा आदेश दिया।

इस ऑपरेशन के अन्तर्गत सूडान एवं अफगानिस्तान में आतंकी अलकायदा ठिकानों पर अनेक बार क्रूज मिसाइलों से अमेरिकी हमले किए गए। इस कार्यवाही के लिए अमेरिका ने न तो अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों का ध्यान रखा तथा न ही संयुक्त राष्ट्रसंघ से अनुमति ही ली। इस घटनाचक्र से सुस्पष्ट है कि अमेरिका को विश्व में किसी की भी वह नहीं है जो उसके वर्चस्व को प्रमाणित करता है।

(3) आतंकवाद के खिलाफ विश्वव्यापी अभियान-  11 सितम्बर, 2001 को देशों के 19 आतंकवादियों द्वारा अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित वल्ड ट्रेड सेण्टर तथा स्थित रक्षा मुख्यालय पेंटागन पर हमला किया जिसमें लगभग तीन हजार लोगों की जाने चली गई। अमेरिका सहित विश्व समुदाय को हिलाकर रख देने वाली इस घटना के प्रतिक्रियास्वरूप संयुक्त राज्य अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ विश्वव्यापी अभियान के अन्तर्गत ‘ऑपरेशन एण्ड्यूरिंग फ्रीडम’ चलाया। इस ऑपरेशन का प्रमुख लक्ष्य अलकायदा तथा अफगानिस्तान का तालिबानी शासन था।

इस दौरान अमेरिका ने सम्पूर्ण विश्व में गिरफ्तारियाँ की तथा गिरफ्तार (बन्दी) बनाए गए लोगों के सम्बन्ध में उनकी सरकारों तक को सूचना नहीं दी थी। विभिन्न देशों से बन्दी बनाए गए लोगों को अलग-अलग देशों के कारागारों में गोपनीय तरीके से रखा गया। इन बन्दियों से संयुक्त राष्ट्र संघ तक के अधिकारियों को मिलने तक की अनुमति नहीं दी गई। उक्त घटना से अमेरिकी वर्चस्व का पता चलता है कि वह विश्व की एक बड़ी सैन्य शक्ति है जो संयुक्त राष्ट्र संघ तक की परवाह नहीं करता है।

(4) द्वितीय खाड़ी युद्ध–  19 मार्च, 2003 को अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र संघ की अनुमति न मिलने के बावजूद तथा सम्पूर्ण विश्व की अनदेखी करते हुए ‘ऑपरेशन इराकी फ्रीडम’ के अन्तर्गत इराक पर सैन्य हमला किया। विश्व को इस हमले का कारण बताते हुए अमेरिका ने कहा कि इराक को सामूहिक संहार के हथियार बनाने से रोकने हेतु उसके द्वारा यह आक्रमण किया गया। हालांकि इस आक्रमण के पीछे अमेरिका का लक्ष्य इराक के तेल भण्डारों पर कब्जा करना तथा वहाँ अपनी पसन्द की सरकार बनवाना था।

 

प्रश्न 2. विश्व राजनीतियों में अमेरिकी वर्चस्व पर किस प्रकार नियन्त्रण लगाया, जा सकता है?

     उत्तर –         अमेरिकी वर्चस्व पर नियन्त्रण (अंकुश)

विश्व राजनीति में संयुक्त राज्य अमेरिका के वर्चस्व पर निम्न प्रकार नियन्त्रण अथवा अंकुश लगाया जा सकता है-

(1) वर्चस्व तन्त्र में रहते हुए अवसरों का लाभ उठाया जाए- आर्थिक वृद्धि दर को उच्च स्तर पर ले जाने के लिए व्यापार को प्रोत्साहन, प्रौद्योगिकी का हस्तान्तरण तथा निवेश परमावश्यक है। इस दृष्टिकोण से अमेरिका के साथ विरोध न करके उसके साथ मिलकर कार्य करने में सरलता रहेगी। सर्वाधिक शक्तिशाली देश के विरुद्ध जाने की अपेक्षा उसके वर्चस्व तन्त्र में रहते हुए अवसरों को प्रत्येक सम्भव लाभ उठाना ही उचित एवं सार्थक रणनीति है।

(2) वर्चस्व वाले देश से उचित दूरी बनाए रखने का प्रयास करना – जहाँ तक हो सके वर्चस्व वाले देश से दूर-दूर रहना चाहिए। उदाहरणार्थ चीन, रूस तथा यूरोपीय संघ इत्यादि किसी-न-किसी तरह से स्वयं अपने आप को अमेरिकी नजरों में आने से बचाते रहे हैं। क्योंकि ये देश स्वयं अपने आप को अमेरिकी क्रोध की चपेट में आने से रोकना चाहते हैं। हालांकि छोटे देशों के लिए यह नीति आकर्षक रणनीति सिद्ध हो सकती है लेकिन अकल्पनीय है कि भारत, रूस तथा चीन इत्यादि देश अथवा यूरोपीय संघ जैसा विश्व संगठन स्वयं को लम्बी समयावधि तक अमेरिकी दृष्टि से बचाए रख सके।

(3) अमेरिकी वर्चस्व से निपटने हेतु राज्येतर संस्थाएँ आगे आएँगी अमेरिकी – वर्चस्व का प्रतिकार कोई भी देश अथवा अन्तर्राष्ट्रीय संगठन कर ही नहीं सकता क्योंकि वर्तमान परिस्थितियों में विश्व के लगभग सभी राष्ट्र अमेरिकी शक्ति के सामने बौने एवं लाचार हैं। अमेरिकी वर्चस्व से निपटने हेतु राज्येतर संस्थाएँ ही आगे आ सकती है। आर्थिक तथा सांस्कृतिक धरातल पर ही अमेरिका के समक्ष चुनौती प्रस्तुत की जा सकती है। लेखक, कलाकार, बुद्धिजीवी तथा मीडिया इत्यादि का एक वर्ग ही संयुक्त राज्य अमेरिका के समक्ष एक दीवार खड़ी कर सकता है। उक्त राज्येतर संस्थाएँ एक विश्वव्यापी नेटवर्क स्थापित करने में सक्षम है जिसमें अमेरिकी जनसाधारण भी अपनी सहभागिता कर सकता है। इस प्रकार संयुक्त रूप से गलत अमेरिकी नीतियों की आलोचना तथा प्रतिरोध किया जा सकेगा।

 

प्रश्न 3. भारत-अमेरिका के सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।                                                                                             

उत्तर-                                   भारत-अमेरिका सम्बन्ध

भारत तथा संयुक्त राज्य अमेरिका में कभी निकटता, तो कभी दूरियाँ पनपनी रही हैं। मार्च 2000 से दोनों देशों के सम्बन्धों में मधुरता का दौर शुरू हुआ 22 वर्षों की लम्बी समयावधि के पश्चात् तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति क्लिंटन की 21 मार्च, 2000 की पाँच दिवसीय भारत यात्रा भारत-अमेरिकी सम्बन्धों में एक नया मोड़ ले आयी है।  सितम्बर 2000, नवम्बर 2001 तथा जुलाई 2005 में भारतीय प्रधानमन्त्री की अमेरिकी यात्राओं से दोनों देशों के सम्बन्धों में निकटता तथा मधुरता आई है।

जहाँ जून 2005 में दोनों ही देशों के बीच दस वर्षीय रक्षा समझौता हस्ताक्षरित हुआ, वहीं इसी ऐतिहासिक वर्ष में अमेरिका के मध्य कृषि सहयोग समझौता करके सम्बन्धों को एक नवीन दिशा प्रदान की गई। 2 मार्च, 2006 को अमेरिकी राष्ट्रपति बुश की भारत यात्रा के दौरान ऐतिहासिक असैन्य परमाणु ऊर्जा सहयोग समझौता दोनों देशों के सम्बन्धों में एक मील का पत्थर सिद्ध होगा। 2 अक्टूबर, 2014 को श्री नरेन्द्र मोदी जी की अमेरिकी यात्रा के दौरान नाभिकीय समझौता हुआ।

66वें भारतीय गणतन्त्र दिवस 2015 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा मुख्य अतिथि थे। 2016 में भारतीय प्रधानमन्त्री मोदी ने अमेरिकी कांग्रेस को सम्बोधित किया।  25-26 जून, 2017 को भारतीय प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा से दोनों देशों के सम्बन्धों में और अधिक मजबूती आई। फरवरी 2020 में अमेरिकी राष्ट्रपति दो दिवसीय भारत यात्रा पर आए। इस दौरान अमेरिका ने भारत के साथ तीन अरब डॉलर का सैन्य समझौता किया। इस प्रकार वर्तमान में भारत-अमेरिका के पारस्परिक सम्बन्ध नवीन कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं।

Conclusion :-

इस पोस्ट में हमने MP Board, cg board…etx.  के कक्षा 12 राजनीति शास्त्र पाठ्यपुस्तक के पहले अध्याय 3  समकालीन विश्व में अमेरिकी वर्चस्व  का समाधान को देखा, हमारे इसी वेबसाइट पे आपको कक्षा 12 के जीवविज्ञान के सलूशन, भौतिकी के सलूशन, गणित के सलूशन, रसायन विज्ञान के सलूशन, अंग्रेजी के सलूशन भी मिलेंगे. आप उन्हें भी ज़रूर देखे.

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